भूमिका : लघु उद्योगों के लिए वित्तीय प्रबंधन के टिप्स

एसएसआइ का देश की अर्थव्यवस्था व्यवस्था को चलाने में बहुत बड़ा योगदान होता है। यद्यपि लघु उद्योगों की सफलता अच्छे वित्तीय प्रबंधन पर निर्भर करती है। प्रस्तुत ब्लॉग वित्तीय प्रबंधन के प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डालता है जिसके आधार पर लघु उद्योगों की सफलता तय होती है। ब्लॉग में वित्तीय प्रबंधन के वास्तविक और उपयुक्त रणनीतियों का भी संक्षिप्त परिचय दिया गया है।
विवरण: लघु उद्योगों के लिए वित्तीय प्रबंधन के टिप्स
आइए हम अपना ध्यान वित्तीय प्रबंधन के प्रमुख बिन्दुओं को पढ़ने पर केंद्रित करते हैं:
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वित्तीय प्रबंधन क्या है
वित्तीय प्रबंधन वित्तीय संसाधनों के उपयोग पर निम्नलिखित रूप से ध्यान देता है
- वित्तीय योजना बनाना
- संसाधनों को एकत्रित करना
- विभिन्न रूपों में उपलब्ध संसाधनों को रेखांकित करके उनको उपयोग में लाना ताकि उद्यम का लक्ष्य प्राप्त हो सके
- कुशल वित्तीय प्रबंधन से वित्त जरूरत के समय उपलब्ध रहता है, वित्तीय लाभ प्राप्त होते हैं और उद्यम लंबे समय तक कार्यरत रह सकते हैं
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सही वित्तीय लक्ष्य का निर्धारण
लघु उद्योगों को वास्तविक और साफ सुथरे वित्तीय लक्ष्यों का निर्धारण करना चाहिए। यह लक्ष्य विभिन्न तरीकों से निर्धारित किये जा सकते हैं। जैसे की, सालाना राजस्व, विभिन्न मदों पर खर्च, सालाना लाभ और विभिन्न क्षेत्रों में निवेश का निर्धारण इत्यादि। समयानुकूल वास्तविक आंकड़ों पर आधारित पा सकने योग्य वित्तीय लक्ष्य के निर्धारण से उद्योग एक दिशा में सही रूप से कार्य कर सकते हैं। साथ ही साथ स्वयं की प्रगति का आकलन भी कर सकता है।
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बजट बनाना और पूर्वानुमान लगाना
लघु उद्योगों को वित्तीय प्रबंधन हेतु विस्तृत एवं साफ सुथरा बजट पहले से बनाना बहुत जरूरी है। बजट बनाने से उपलब्ध वित्तीय संसाधनों को विभिन्न भागों में बांटना आसान हो जाता है ,खर्च नियंत्रण करने में आसानी होती है और भविष्य में निवेश किए जाने वाले क्षेत्रों के बारे में पता चलता है। साथ ही साथ वित्तीय पूर्वानुमानों से उद्योगों को वित्तीय चुनौतियों का सामना करने में आसानी होती है और वह उचित निर्णय लेने में सक्षम हो जाते हैं ।
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नकदी प्रवाह प्रबंधन
नकदी प्रवाह का समुचित प्रबंधन किसी भी उद्यम के बने रहने और प्रगतिवान होने के लिए बहुत आवश्यक है। उद्योग के अधिकारियों को चलनिधि या नकदी प्रवाह के आवागमन पर पूर्ण निगाह रखना चाहिए ताकि जरूरत के समय चलनिधि का उपयोग किया जा सके। नकदी प्रवाह के सुलभ आवागमन हेतु विभिन्न प्रयास किये जा सकते हैं जैसे की जल्दी से जल्दी बिल्ली बिल बनाना, जल्दी से जल्दी नकदी प्राप्त करने हेतु कुल मूल्य पर छूट देना, जरूरत के अनुसार कच्चा माल और उत्पाद के भंडार पर नियंत्रण रखना इत्यादि ।
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लागत पर नियंत्रण
लागत पर नियंत्रण लघु उद्योगों की लाभप्रदता को सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक कदम है। व्यापारियों को मालूम होना चाहिए लागत में मूल तत्व कौन कौन से हैं ताकि उन पर नियंत्रण रखकर लागत को कम किया जा सके। लागत कम करने के विभिन्न उपाय है जैसे की ठेकों का समय समय पर अवलोकन करना, उत्पादकता बढ़ाना, लागत कम करने के लिए नई नई तकनीकों का प्रयोग करना इत्यादि।
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वित्तीय आकलन
लघु उद्योगों को अक्सर नकदी की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि उनके काम करने की क्षमता और उधार लेने की क्षमता अक्सर कम होती है। बैंक से ऋण, सरकारी निधि की उपलब्धता और योजनाओं के माध्यम से उद्यम पूंजी की व्यवस्था, वित्तीय माध्यम संसाधन प्राप्त करने के विभिन्न उपाय है। इसके अतिरिक्त उधारी का अच्छा विवरण और मजबूत व्यापारी की योजना से वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित होती है ।
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वित्तीय रिपोर्टिंग और विश्लेषण
समय समय पर लघु उद्योगों को अपनी वित्तीय क्षमताओं का विश्लेषण करके रिपोर्ट प्रस्तुत करना चाहिए जैसे की तुलनपत्र, लाभ हानि विवरण, नकदी का आवागमन विवरण इत्यादि से व्यापार के वित्तीय स्वास्थ्य का पता चलता है। इन विवरण के अवलोकन से व्यापारी को पता चलता है की व्यापार किस और उन्मुख है, लाभ ज्यादा कहाँ से मिलेगा और लाभ लेने के लिए क्या क्या उपाय करना पड़ेंगे।
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आंतरिक वित्तीय नियंत्रण
धोखाधड़ी से बचने के लिए लघु उद्योगों को वित्तीय योजनाएं बनाना चाहिए और तारीखों का निर्माण करना चाहिए गलतियों को दूर करने के लिए ऑडिट करवाना चाहिए अलग अलग कुशलता वाले कार्यों को अलग अलग लोगों से करवाना चाहिए
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निरंतर सीखने और सुधार की ओर अग्रसरता
लघु उद्योगों को स्वयं के काम करने के तरीकों में निरंतर सुधार करना चाहिये । इसके लिए नवीनतम तकनीक का प्रयोग करना, सेमिनार में शामिल होना और दक्ष लोगों की सेवाएं लेना शामिल है।
निष्कर्ष
उच्च वित्तीय प्रबंधन उद्योग की सफलता का मूल कारण है। वित्तीय लक्ष्य निर्धारण, नकदी प्रवाह नियंत्रण, वित्त लागत नियंत्रण, वित्तीय संसाधन प्रबंधन हेतु तकनीक और निरंतर स्व्यम की कार्यक्षमता में सुधार उद्योगों को लाभ की ओर ले जाते हैं। हमको निरंतर सीखने की ओर अग्रसर होना चाहिए।