आकर्षण का नियम

 प्रस्तावना-आकर्षण का नियम

 आकर्षण का नियम वह कानून है जो  जीवन में स्वास्थ्य, धन, और संपत्ति को आकर्षित करना संभव बनाता है।

 यह कानून,  लोगों को अपने जीवन में आकर्षित करना, परिस्थितियां बनाना और सफलता प्राप्त करना संभव बनाता है।

परंतु, यह कानून क्या है ? इसके उत्तर को समझने का प्रयास कीजिये ।

इस कानून के  अनुसार हम जो कुछ भी देखते हैं वह हमारे दिमाग में अंकित हो जाता है ।

यही  बात, विचारों के साथ भी लागू होती है जो कुछ भी सोचते हैं वही विचार हमारे दिमाग पर अंकित हो जाता है।

इसीलिये, हम उसी विचार  के प्रति आकर्षित होने लगते हैं ।

इस संसार में कुछ लोग ही बहुत रईस हो पाते है ऐसा क्यों ? क्योंकि, उनको सामान्य बुद्धि से आकर्षण के नियम के बारे में मालूम है।

आकर्षण का  नियम है की ,जैसा सोचोगे वैसा ही पाओगे ।

परन्तु ,९५ प्रतिशत को उपरोक्त बात समझाना पड़ती है ।उसके बाद भी, उनकी बुद्धि इस बात को समझ नहीं पाती है ।

आकर्षण का नियम -संक्षिप्त विवरण

आकर्षण के नियम के अनुसार जो कुछ भी आप वर्तमान में सोचते हैं उसी के अनुसार आपका भविष्य बनता है ।

तथा, इस नियम के अनुसार ,एक सकारात्मक सोच नकारात्मक विचार से कई गुना ज्यादा मजबूत होती है ।

साथ ही साथ, यह बात भी सही है की विचारों के आने के बाद उसके क्रियन्वित होने में समय अंतराल भी हो सकता है ।

सोचने से ही भावनाएं बनती हैं उसी के अनुसार आपका स्वभाव बनता है और  वही स्वभाव आपके भविष्य का निर्धारण करता है ।

यहाँ तक की अगर आपके हर दिन की शुरुआत अच्छी सोच के साथ होगी तो पूरा दिन अच्छा जाएगा ।

इसीलिये,आपको विचार और भावनाओं में अंतर करना आना चाहिए ।

क्योंकी आपके विचारों का ब्रह्माण्ड आप खुद बनाते हैं |इसीलिये, “आकर्षण के नियम के अनुसार जैसा चाहेंगे वैसा पाएंगे” ।

यदि, आप प्यार ख़ुशी उमंग आदि की भावनाओं को  अनुभव  करेंगे तो आपको वही सब मिल जाएगा ।

यदि भावनाएं शुद्ध होंगी तो परिणाम भी अच्छा ही होगा ।

निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने का रहस्य:

आकर्षण के नियम मे पहला प्रश्न है की, लक्ष्य कुछ भी हो उसको पा सकने का रहस्य क्या है ?

आकर्षण के नियम के अनुसार आप जिंदगी में जो कुछ चाहते हैं,जैसा चाहते हैं,जब चाहते हैं,सब कुछ मिल सकता है।

परन्तु ,उसके लिए आपको आयोजना बनाना या बनवाना चाहिए।और,लक्ष्य निर्धारण करके, आयोजना को क्रियान्वित करना आना चाहिए ।

अगर नहीं आता है तो, सीखने के लिए सहमति आवश्यक है ।

सीखने के बाद ,लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए काम कीजिये ।आप क्या हैं? कहाँ हैं ?क्यों हैं ?यह सब प्रश्न अर्थहीन हैं ।

क्योंकी,जीवन में सफलता हासिल करने के लिए ,लक्ष्य निर्धारण करके उसे पाना कठिन अवश्य है परन्तु असम्भव नहीं ।

आकर्षण के नियम के अनुसार, निर्धारित लक्ष्य को पाने के लिए प्रयास बार बार करना पड़ सकता है।

साथ ही साथ लक्ष्य निर्धारण करने का कारण अवश्य मालूम होना चाहिए ।

आकर्षण के नियम के अनुसार समझने का प्रयास कीजिये की एक चुम्बक में लोहे को आकर्षित करने की शक्ति है ।

इसीलिये,आप भी स्वयं को चुम्बक समझने का प्रयास कीजिये और बार बार सोचिये की लोग मेरी और आकर्षित हो रहे हैं ।

फलस्वरूप आप स्वयं देखेंगे की लोग आप से बात करना चाह रहे हैं।

आकर्षण के इस नियम को ४शब्दों में लिखा जा सकता हैं “विचार आकार लेते हैं “।विचार में आवृत्ति होती है जिसे अंग्रेजी में फ्रीक्वेंसी कहा जाता है ।जो हम चाहते हैं उसको बार बार सोचें ।

हमें  ध्यान में रखना होगा की जो लक्ष्य स्वयं ने निर्धारित किया हैं उस पर रुकें।

और, उसके बारे में सोच कर मन को साफ़ करें और संभव दिशा की और प्रयत्न शील हो जाएं ।

इससे हम वही करते हैं जो सोचते हैं साथ ही साथ  दूसरे को भी स्वयं की और आकर्षित करते हैं ।

निष्कर्ष 

आकर्षण के नियम के अनुसार आप किसी भी चीज को देख कर जितना सकारात्मक सोचेंगे उतनी ही मात्रा में वही चीज हासिल हो जाएगी ।

आकर्षण का नियम निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है ।

मनुष्य ने ही उपग्रह को अंतरिक्ष में स्थापित किया है ।

मनुष्य ने ही चन्द्रमा पर पहुंचने का रहस्य ढूंढा है ।

साथ ही साथ यह भी अनुभव किया है की एक क्षण की गलतीसे बना हुआ काम बिगड़ भी सकता है ।

मनुष्य बिना किसी भी समय  अंतराल के सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में स्वयं के मन को घुमा कर वापस ला सकता है ।

यह सब संभव होने का रहस्य है आकर्षण का नियम ।

इसीलिए बुद्धि जीवियों ने कहा है की सोचो कम और काम ज्यादा करो ।

प्रदीप मेहरोत्रा

(वह लेख मैंने यु ट्यूब को देखने के बाद  जिंदगी के अनुभवों से लिखा है )

 

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 यह कानून,  लोगों को अपने जीवन में आकर्षित करना, परिस्थितियां बनाना और सफलता प्राप्त करना संभव बनाता है।

परंतु, यह कानून क्या है ? इसके उत्तर को समझने का प्रयास कीजिये ।

इस कानून के  अनुसार हम जो कुछ भी देखते हैं वह हमारे दिमाग में अंकित हो जाता है ।

यही  बात, विचारों के साथ भी लागू होती है जो कुछ भी सोचते हैं वही विचार हमारे दिमाग पर अंकित हो जाता है।

इसीलिये, हम उसी विचार  के प्रति आकर्षित होने लगते हैं ।

इस संसार में कुछ लोग ही बहुत रईस हो पाते है ऐसा क्यों ? क्योंकि, उनको सामान्य बुद्धि से आकर्षण के नियम के बारे में मालूम है।

आकर्षण का  नियम है की ,जैसा सोचोगे वैसा ही पाओगे ।

परन्तु ,९५ प्रतिशत को उपरोक्त बात समझाना पड़ती है ।उसके बाद भी, उनकी बुद्धि इस बात को समझ नहीं पाती है ।

आकर्षण का नियम -संक्षिप्त विवरण

आकर्षण के नियम के अनुसार जो कुछ भी आप वर्तमान में सोचते हैं उसी के अनुसार आपका भविष्य बनता है ।

तथा, इस नियम के अनुसार ,एक सकारात्मक सोच नकारात्मक विचार से कई गुना ज्यादा मजबूत होती है ।

साथ ही साथ, यह बात भी सही है की विचारों के आने के बाद उसके क्रियन्वित होने में समय अंतराल भी हो सकता है ।

सोचने से ही भावनाएं बनती हैं उसी के अनुसार आपका स्वभाव बनता है और  वही स्वभाव आपके भविष्य का निर्धारण करता है ।

यहाँ तक की अगर आपके हर दिन की शुरुआत अच्छी सोच के साथ होगी तो पूरा दिन अच्छा जाएगा ।

इसीलिये,आपको विचार और भावनाओं में अंतर करना आना चाहिए ।

क्योंकी आपके विचारों का ब्रह्माण्ड आप खुद बनाते हैं |इसीलिये, “आकर्षण के नियम के अनुसार जैसा चाहेंगे वैसा पाएंगे” ।

यदि, आप प्यार ख़ुशी उमंग आदि की भावनाओं को  अनुभव  करेंगे तो आपको वही सब मिल जाएगा ।

यदि भावनाएं शुद्ध होंगी तो परिणाम भी अच्छा ही होगा ।

निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने का रहस्य:

आकर्षण के नियम मे पहला प्रश्न है की, लक्ष्य कुछ भी हो उसको पा सकने का रहस्य क्या है ?

आकर्षण के नियम के अनुसार आप जिंदगी में जो कुछ चाहते हैं,जैसा चाहते हैं,जब चाहते हैं,सब कुछ मिल सकता है।

परन्तु ,उसके लिए आपको आयोजना बनाना या बनवाना चाहिए।और,लक्ष्य निर्धारण करके, आयोजना को क्रियान्वित करना आना चाहिए ।

अगर नहीं आता है तो, सीखने के लिए सहमति आवश्यक है ।

सीखने के बाद ,लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए काम कीजिये ।आप क्या हैं? कहाँ हैं ?क्यों हैं ?यह सब प्रश्न अर्थहीन हैं ।

क्योंकी,जीवन में सफलता हासिल करने के लिए ,लक्ष्य निर्धारण करके उसे पाना कठिन अवश्य है परन्तु असम्भव नहीं ।

आकर्षण के नियम के अनुसार, निर्धारित लक्ष्य को पाने के लिए प्रयास बार बार करना पड़ सकता है।

साथ ही साथ लक्ष्य निर्धारण करने का कारण अवश्य मालूम होना चाहिए ।

आकर्षण के नियम के अनुसार समझने का प्रयास कीजिये की एक चुम्बक में लोहे को आकर्षित करने की शक्ति है ।

इसीलिये,आप भी स्वयं को चुम्बक समझने का प्रयास कीजिये और बार बार सोचिये की लोग मेरी और आकर्षित हो रहे हैं ।

फलस्वरूप आप स्वयं देखेंगे की लोग आप से बात करना चाह रहे हैं।

आकर्षण के इस नियम को ४शब्दों में लिखा जा सकता हैं “विचार आकार लेते हैं “।विचार में आवृत्ति होती है जिसे अंग्रेजी में फ्रीक्वेंसी कहा जाता है ।जो हम चाहते हैं उसको बार बार सोचें ।

हमें  ध्यान में रखना होगा की जो लक्ष्य स्वयं ने निर्धारित किया हैं उस पर रुकें।

और, उसके बारे में सोच कर मन को साफ़ करें और संभव दिशा की और प्रयत्न शील हो जाएं ।

इससे हम वही करते हैं जो सोचते हैं साथ ही साथ  दूसरे को भी स्वयं की और आकर्षित करते हैं ।

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मनुष्य ने ही उपग्रह को अंतरिक्ष में स्थापित किया है ।

मनुष्य ने ही चन्द्रमा पर पहुंचने का रहस्य ढूंढा है ।

साथ ही साथ यह भी अनुभव किया है की एक क्षण की गलतीसे बना हुआ काम बिगड़ भी सकता है ।

मनुष्य बिना किसी भी समय  अंतराल के सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में स्वयं के मन को घुमा कर वापस ला सकता है ।

यह सब संभव होने का रहस्य है आकर्षण का नियम ।

इसीलिए बुद्धि जीवियों ने कहा है की सोचो कम और काम ज्यादा करो ।

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