ब्लॉग लिखने के लाभ
१- Blog likhne ke laabh प्रस्तावना –

अनुक्रमांक
क्रमांक | विवरण |
१ |
भूमिका |
२ | विवरण-(ब्लॉग से मिलने वाले लाभ) |
३ |
उपसंहार |
–अगर आपने मेरा पहला ब्लॉग पढ़ा है की “ब्लॉग क्या है” तो आपके मन में प्रश्न उठना स्वभाविक है की ब्लॉग क्यों बनायें ? blog likhne ke laabh क्या है ? उपरोक्त प्रश्नों का उत्तर है कि साथियों यह युग IT का युग है,जानकारियों का आदान-प्रदान मोबाइल के माध्यम से हो रहा है |इसीलिए ब्लॉगर बनिये और आगे बढ़िये |ब्लोगिंग विषय पर ब्लोग्स लिखे जा चुके हैं ।लिंक प्रस्तुत है https://readwrite.in/article-writing/
२- Blog likhne ke laabh ka विवरण
blog likhne ke laabh का विश्लेषण निम्नानुसार है:
२.१-स्वयं की पहचान बनाना:
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और सामाजिक क्षेत्र में स्वयं को कुशल बनाना समाज के लिए उपयोगी सिद्ध होता है |अगर आपने अभी तक किसी भी क्षेत्र में कुशलता प्राप्त नहीं की है तो मेरा सुझाव है की ब्लॉग लेखन का क्षेत्र चुनिए |जब बहुत सारे लोग आपके द्वारा लिखित ब्लॉग पढ़ेंगे तब आपकी पहचान बन जायेगी |
२.१.१-Blog likhne ke laabh – स्वयं की पहचान हेतु कार्य :
कार्य का विवरण निम्नानुसार है
- ब्लॉग बनाना लिखने का निर्णय लीजिये,
- आपके ज्ञानानुसार लेखन के लिए विषय-वस्तू का चुनाव करके आपकी वेबसाइट का नाम चुनिए या चुनवाइये,
- इन्टरनेट पर स्वयं की वेबसाइट बनाइये या बनवाइए,
- ब्लॉग बनाना सीखिए,(लिखने का कार्य प्रारंभ कर दीजिये,लिखते लिखते आप स्वयं पारंगत हो जायेंगे),
२.१.२-वेबसाइट पर पोस्ट:
कार्य का विवरण निम्नानुसार है ,
- वेबसाइट पर पोस्ट लिखने के लिए Search Engine Optimization सीखिए
- लिखे हुए ब्लॉग को ध्यान से दुबारा पढ़िए और गलतियों को सुधारिए,
- फिर ब्लॉग को स्वयं की वेबसाइट के माध्यम से इन्टरनेट का सहारा लेकर प्रकाशित कीजिये,
- आज के युग में सोशल मीडिया बहुत प्रसिद्ध हो गया है| इसीलिए फेसबुक,Instagram,आदि का सहारा लेकर स्वयं का संपर्क बढ़ाइए, तथा अन्य लोगों के पास आपके कार्य की जानकारी भेजिए|
जब कुछ ब्लॉग प्रकाशन के बाद आपके पास सन्देश आना प्रारंभ हो जायेंगे तब आप स्वयं गौरवान्वित अनुभव करेंगे और आप स्वयं आपकी पहचान बनायेंगे |
२.२-Blog likhne ke laabh – समय प्रबंधन में योग्य बनना:
क्योंकि समय अमूल्य है इसलिए कुशलता प्राप्त करने के लिए विधि विधान से काम प्रारंभ करना चाहिए |
२.२.१-समय प्रबंधन के नियम
समय प्रबंधन के नियम निम्नानुसार हैं:
- लिखिए की कितने ब्लॉग प्रति सप्ताह लिखने और प्रकाशित करने के लिए महारत कब तक प्राप्त करेंगे
- योजना बनाइये ,योजना बनाने के लिए लक्ष्य को विभिन्न क्रियाओं में विभाजित कीजिये
- किसी अनुभवी से पूछिए या स्वयं अनुमान लगाइए की प्रत्येक क्रिया को करने में कितना समय लगेगा उसको लिखिए
- क्रियाओं को समय बद्ध करके दिनचर्यानुसार समय सारणी बनाइये
- कुछ दिन प्रयास करने के बाद आपको स्वयं समय प्रबंधन में क्षमता मिल जायेगी
२.३-Blog likhne ke laabh – स्वस्थ बनना:
किसी भी कार्य को करने के लिए स्वस्थ्य शरीर और स्वस्थ्य दिमाग का होना आवश्यक है |इसलिए आप लक्ष्य प्राप्ति हेतु आप स्वयं “स्वास्थ्य एवं कल्याण” तथा “मानसिक विकास” की और अग्रसर होना प्रारंभ कर देंगे |
स्वस्थ्य शरीर और मन से इंसान स्वयं लक्ष्य प्राप्ति की ओर आगे बढ्ता है |लेखन के कार्य से आपको समय मिलता है | आप नियमित रूप से व्यायाम /योग आदि करके स्वस्थ्य बनते हैं |
२.४-आत्म विश्लेषक बनना:
जब आप स्वयं पर जीवन जीने का प्रयास करते हैं तो “सक्रिय जीवन शैली” अपनाते हैं |समस्याओं का सामना करते हुए ,समाधान भी स्वयं निकालते हैं| इन सब कार्यों को करने के लिए “आत्मविश्लेषण” की आवश्यकता होती है| प्रबंधन के सन्दर्भ में इसे “self swot analysis” भी कहा जाता है | आत्मविश्लेषण के बाद आप आत्म विश्लेषक बन कर सही दिशा में सही प्रयास करना प्रारम्भ कर देते हैं |
२.५-Blog likhne ke laabh –आत्मविश्वासी बनना:
किसी भी एक क्षेत्र में लक्ष्य बना कर योग्यता प्राप्त करके स्वयं की पहचान बनाना “उद्यमिता” की पहली निशानी है |आप स्वयं सही प्रयासों से दूसरों को ख़ुशी देने का जितना ज्यादा प्रयास करेंगे,आपकी समाज में पहचान उतनी ही ज्यादा बढ़ेगी|आप स्वयं “उद्यमिता का महत्व”(Importance of Entrepreneurship) समझ लेंगे और स्वयं का आत्मविश्वास बढ्ता हुआ पायेंगे | आत्मविश्वासी बनने से इच्छाशक्ति बढ्ती है और सही निर्णय को क्रियान्वित करती है | क्रियान्वय परिणाम देता है और आप संतुष्टि प्राप्त करते हैं |
२.६-Blog likhne ke laabh – धैर्यवान बनना:
ब्लॉग लिखने में कुशलता प्राप्त करने के लिए समय और निरंतर प्रयास की आवश्यकता होती है |धैर्य रख कर लगातार प्रयासों से लक्ष्य अवश्य प्राप्त होता है.और आपके अन्दर “उद्यमिता का विकास” होता है |लक्ष्य के साथ निरंतर प्रयास का सामर्थ्य आपको धैर्यवान बनाता है | धैर्यवान मनुष्य कठिनाइयों का कुशलता से सामना कर लेते हैं |
२.७-सम्पर्कवान बनना:
लेखन के क्षेत्र में मनुष्य को पहचान तब मिलती है जब वह समाज की प्रगती के लिए कार्य करता है |जब लोगों को प्रगति मिलती है तो वह स्वयं आप से संपर्क बढ़ाने का प्रयास करते हैं |सम्पर्कवान बनने से आपका व्यक्तिगत विकास होता है |विकास के क्षेत्र निम्नलिखित होते हैं :
- बातचीत के समय सही शब्दों का चयन
- समस्याओं को सुधारने की क्षमता
- रचनात्मक कार्य करने की क्षमता
सम्पर्कवान मनुष्य स्वयं प्रतिष्ठा प्राप्त करता है|
२.८-Blog likhne ke laabh –कुशल बनना और कमाई करना:
जब आप निर्धारित लक्ष्य पर योजनाबद्ध तरीके से काम करते हैं तो आपके अन्दर “उद्यमी” बनने की क्षमता का विकास होता है |आप स्वयं पर आधारित होकर कार्य करने का जोखिम उठाते हैं तो प्रयासों से स्वनिर्धारित क्षेत्र में कुशलता भी प्राप्त करते हैं |ब्लॉग लेखन की कला में कुशलता प्राप्त करने के बाद आपको प्रासंगिक क्षेत्रों में कार्य करने का अवसर भी प्राप्त होता है और आप नौकरी की अपेक्षा ज्यादा रूपये कमाते हैं |
२.९-अनेक गुणों का विकास होना:
ब्लॉग लेखन से आपको किसी भी एक लक्ष्य से सम्बंधित बहुत सारे विषयों पर लिखने की दिशा भी प्राप्त होती है ,इस दिशा से निम्नलिखित गुणों का विकास होता है :
- ज्ञानवान होना
- बुद्धिमान होना
- सलाहकार होना
- प्रबंधक होना
- योजनावान होना
२.१०-प्रेरणावान बनना:
गूगल में बहुत सारे ब्लॉगर्स ने स्वयं के गुणों पर आधारित जानकारी के अनुसार संदर्भित विषय पर लेख लिखें हैं,उनको पढ़ने से आपके अन्दर भी लिखने की प्रवृत्ति का विकास होता है,और आप स्वयं के अनुभवानुसार एवं ज्ञान के आधार पर लेख लिखना प्रारंभ कर देते हैं |दूसरों से प्रेरणा लेकर आप स्वयं भी अन्य के लिए प्रेरणावान बन जाते हैं |
३-उपसंहार
Blog likhne ke laabh समझने के बाद यदि आपके मन में ब्लॉग लिखने से सम्बंधित प्रश्न हैं तो कमेंट के माध्यम से पूछिए मैं ब्लॉगिंग के माध्यम से या YouTube पर विडियो के माध्यम से उत्तर देने का प्रयास अवश्य करूंगा |
आपकी टिप्प्णियो की प्रतीक्षा रहेगी |
धन्यवाद
प्रदीप मेहरोत्रा